सांस फूलना क्या है ? सांस क्यों फूलता है ?

सांस फूलना क्या है ? सांस क्यों फूलता है ? 

सांस लेना जीबन को बनाये रखनी बालि मुलभुत क्रिय है ,हमारे अस्तित्व के लिए इतनी अन्तर्निहित प्रक्रिया है की इसका  महत्व अक्सर ओन देखा हो जाता है ,जब तक की यह समझौता न हो जाये ,डिस्पेनिया या सांस की तकलीफ,हमारे जीबन मैं सांस लेने की महत्वपूर्ण भूमिका की एक स्पस्ट याद दिलाती है,इस लेख मैं हम डिस्पेनिआ  की  जटीलताओं का पता  लगते है,इसके बिबिध अभीब्यक्तियों ,कारणों  ट्रिगर्स और राहत के लिए राणनीतियों को कबर करते है। आईये बिकार  सुरु करके सुरु करे . 

सांस फूलना क्या है ? 

डिस्पेनिआ  जिसे आम तर पर सांस की तकलीफ के रूप मैं जना जाता है , साँस लेने मैं तकलीफ या कठीनाई के एक ब्यक्तिपरक अनुभूति है . सांस फूलने हबा की कमी या अपर्याप्त बायु प्रबाहा की अनुभूति की बिसेसता बाले डिस्पेनिआ  स्वसन या हृदय प्रणाली को प्रभाबित करने बाली कई अन्तर्निहित स्तितियों , अनिमिआ , कम (हिमो ग्लोबिन )के साथ  साथ शारीरिक परिश्रम चिंता डी  कंडीसनिंग (कम सहन शक्ति ) या परयाबरनिय प्रभाबो जैसे कारको के परिणाम स्वरुप हो सकता है। इस लिए डिस्पेनिआ  के कारन और उचित प्रबंधन को निर्धारीत  करने के लिए एक  स्वास्त्य देखभाल  पेशेबर द्वारा उचित मूल्यांकन महत्व पूर्ण है

तीब्र स्वास कस्ट क्या है ? 

तीब्र स्वास कस्ट अचानक या तेजी से सास फूलने की समस्या को कहते है जिसके लिए आम तर पर तत्काल चिकिशय की आबश्यकता होती है . यह अक्सर अचानक उत्पर्णा होता है और गंभीर हो सकता है ,जिसके काफी परिशानी और असुबिधा हो सकती है . तीब्र स्वास कस्ट अस्थमा के दोरे,फुस फुसिय अन्तः सल्ल्यता  , हृदय गति रुकने  और तीब्रता या गंभीर अलेर्जी प्रतिक्रियाओं ,निमोनिआ  फेफडो का फटना फुस फुस बहाब जैसे बिभीन्न कारको से सुरु हो सकता है . 

क्रोनिक डिस्पेनिआ  

दूसरी और क्रोनिक डिस्पेनिआ  सांस की लगतार या लम्बे समय तक चलने बलि तकलीफ को संदर्भित करता है जो समय के सतह होती है . यह धीरे धीरे बिकसित हो सकता है और हफ्तों , महीनो या सालो तक बना रह सकता है . क्रोनिक डिस्पेनिआ  अक्सर क्रोनिक असपसट्रकटिक  पल्मोनरी डीसिस (सीओपिडी )इन्स्टरटीथियल लंग डीसिस हार्ट फेलुअर  या ओबेसिटी हाइपोबेटीलेसन सिंड्रोम जैसी अन्तर्निहित पुराणी स्तितियों से जुड़ा रहता है . 

तीब्र स्वास कस्ट के बिपरीत,जिस मैं तत्काल चिकिश्या  की आबश्यकता होती है , क्रोनिक स्पस्ट को निरंतर चिकिशय उपचार , जीबन सेली मैं संसोधन और फुसफुसिय पुन बर्स के माध्यम से प्रबंधित किया जा सकता है 

पेरोकरिस्मोल नाकटरनल डिस्पेनिअ और साईघिंग  डिस्पेनिआ  क्या है ? 

पेरोक्रिस्मोल नॉकटर्नल  डिस्पेनिआ  (पिएनडी )और सिंघिंग  डिस्पेनिआ ,  डिस्पेनिअ के दो अलग - अलग रूप है ,जिनकी बीसेसत्य  दो अलग अलग है . 

पेरोक्रिस्मोल निसाचर स्वास कस्ट (पि ए न डी )-पि ए न डी सांस के तकलीफ के अचानक ,गंभीर प्रकरणों को संदर्भित करता है जो ब्यक्तियों को नींद से जगाते है ,जो आम तर पर रात या सुबह के समय होता है . यह अक्सर दील की बिफलता या अन्य हृदय सम्बन्धी स्तितियों , जैसे की इस्केमिक हृदय रोग या  बंटीकुलर डिसफंक्शन से जुड़ा होता है , पिएनडी का अनुभब करने बाले ब्यक्ति इन प्रकरणों के दौरान खांसी , घबराहट , सीने  मैं दर्द या चिंता जैसे लक्ष्यन भी बितरित हो जाती है . जिस मैं लक्ष्यणो मैं राहत मिलती है . 

स्वास कस्ट 

आहे भरने बाली स्वास कस्ट का अर्थ है बार - बार अत्याधिक् आहे भरना या गहरी सांस लेना , जो सामान्य सांस के साथ साथ अक्सर अनैच्छिक रूप से या सांस फूलने की अनुभूति को दूर करने के लिए सचेत प्रयास के रूप मैं होता है . यह चिंता बिकार ,हाइपर बांटीलेसम सिंड्रोम ,या अन्य मनोबैज्ञानिक या भबानात्मक स्तितियों या तंत्रिका सम्बन्धी स्तितियाँ बाले ब्यक्तियों मैं हो सकता है . इसके साथ चक्कर आना हल्का सर दर्द , सीने  मैं जकड़न या हाथ पेरो मैं झुँनझुनि जैसी अनु भूतियाँ हो सकती है ,आहे भरने बाली स्वास कस्ट या अनुभब करने बले  ब्यक्तियों को ऐसा महसुसु हो सकता है की बे संतोष जनक सांस नहीं ले पा रहे है . जिसे सांस फूलने या हबा  की कमी की लगातार भाबनाए पैदा हो सकती है . 

पेरोक्रिसमल नाक्टर्नल डिस्पेनिआ  और सीघिंग डिस्पेनिया  दोनों ही चिंता जनक नैदानिक अभी ब्यक्तियों है जिनके लिए अंतर्न्हित कारण और उचित प्रबंधन राण नीतियों को निर्धारित करने के लिए चिकिशय मूल्यांकन की आबश्यकता होती है . 

प्रस्तुति की बिबिधता 

अंतर निहित कारन और स्तिति की गंभीरता के आधार पर प्रस्तुति अलग - अलग हो सकती है . सामान्य लक्ष्यणो मैं शामिल है . 

1  . सांस फूलना - सांस लेने मैं कठीनाई या असुबिधा की एक ब्यक्तिपरक अनुभूति ,ऐसा महसुसु होना मानो आपको पर्याप्त हबा नहीं मिल पा रही है . 

2 . स्वसन दर मैं बृद्धि - तीब्र या उथली स्वास,जिस मैं आप प्रति मिनट स्वास की संख्या मैं बृद्धि देख सकते है . 

3 . हृदय की गति मैं बृद्धि - स्वसन प्रयाश मैं बृद्धि के कारण ,आपकी हृदय गति भी बढ़ सकती है . 

4 . ऑक्ससीजन स्तर -यदि किसि को साँस लेने मैं तकलीफ हो  रही हो ,तो घर पर पल्स ऑक्ससी मिटर बायु (एक उपयोगी उपकरण )या उपयोग करके  SPO 2  यानि ऑक्सीजन स्तर  की निग रानी करे . 

5 . घबराहट - सांस लेते समय सुनाई देने बालि ऊँची सिटी जैसी आबाज ,जो अक्सर बायुमार्ग के संकुचन या रुकाबट से जुडी होती है . जैसा की अस्थमा या (सीओपिडी)  जैसी स्तितियों मैं देखा जाता है . 

6 . खांसी - कुछ ब्यक्तियों को खासी का अनुभब हो सकता है ,खास कर अगर स्वास कस्ट अस्थमा ,निमोनियाँ या ब्रोंकाइटिस जैसी स्वसन स्तितियों के कारन हो . 

7 . बोलने मैं काठीनाई - स्वास कास्ट के गंभीर मामलो मैं ब्यक्तियों के सांस फूलने के कारन पूरा बाक्य  बोलने मैं कठीनाई हो सकती है . 

8 . सहायक मानस पेशियों का प्रयोग - बायु प्रबाहा को बढाने के प्रयाश  मैं ब्यक्ति सांस लेने मैं सहायता के  लिए गर्दन या छाती मैं सहायक मांश पेशियों का प्रयोंग कर सकते है . 

9 . नाक का पकड़ना - सांस लेते समय नाक् के छिद्रो का फड़कना ,जो स्वसन प्रयाश मैं बृद्धि का संकेत हो सकता है . 

10 . सायनोसिस - स्वास कस्ट के गंभीर मामलो मैं जहा रक्त मैं ऑक्सीजन का स्तर  काफी कम हो जाता है. त्वचा , होट  या नाख़ून , नीले  या सायनोटिक दिखाई दे सकते है . 

यदि आपको अचानक या गंभीर रूप से सांस लेने मैं कठिनाई महसुसु हो ,बिसेस रूप से यदि इसके साथ सीने  मैं दर्द ,बेहोसी , भ्रम या अन्य चिंताजनक लक्ष्यण  हो ,जो  अंतर निहित कारन का पता लगाने और उचित उपचार सुरु करने के लिए किसि स्वास्त्य देख भाल पेसेबर से उचित मूल्याङ्कन कर बाए. 





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