पार्किंनसन रोग का निदान कैसे किया जाता है ?

पार्किंनसन रोग का निदान कैसे किया जाता है ? 

पार्किंसन रोग का निदान मुक्ष्य रूप से एक नैदानिक प्रक्रिया है ,जिसका अर्थ है की यहकाफी हद तक स्वास्त्य सेबा प्रदता द्वारा आपके लक्ष्यणो की जाँच,प्रश्न पूछने और आपके चिकिस्या इतिहास  की  समीक्ष्य पर निर्भर करता है . कुछ नेदानीक और प्रयोग शाला परीक्ष्यंन सम्भब है,लेकिन इनका आबश्यकता आम तर पर अन्य स्तितियों या बिसिस्ट कारनो  को ख़ारिज करने के लिए होती है . 

लेकिन ज़्यादातर प्रयोग शाला परीक्ष्यंण  तब तक आबश्यक नहीं होते जब तक की आप पारकिंसन रोग के उपचार के प्रति प्रति क्रिया न दे , जो किसी अन्य स्तिति का संकेत हो सकता  है

इस स्तिति का निदान करने के लिए कोन  -कोन  से परीक्ष्यंण  किये  जायेंगे?

जब स्वास्त्य सेबा प्रदाताओं को पार्किनसन रोग का संदेह होता है या अन्य स्तितियों को ख़ारिज करने की आबश्यकता होती है , तो बिभीन्न इमेजिंग और नैदानिक परीक्ष्यण  सम्भब है. इन मैं शामिल है 

1 . रक्त परीक्ष्यंण  (ये पार्किंसन के अन्य रूपों को ख़ारिज करने मैं मदत कर सकती है) . 

2 . कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सिटी स्कैन

3 . अनुबंसिक परीक्ष्यण। 

4 . चुम्बकीय अनुनाद  इमेजिंग (M R I ).

5 . पाजीट्रोन  एम्मिशन टोमोग्राफी (पिइटी)स्कैन । 


किन दबाओं और उपचारो का उपयोग किया जाता है ? 

पार्किंसन रोग के लिए दबा उपचार दो श्रेणियों मैं आते है,प्रतक्ष्य उपचार और लक्ष्यणात्मक उपचार। प्रतक्ष्य उपचार पार्किंसन रोग को लक्षित करते है . लक्ष्यणात्मक उपचार  केबल  रोग के किसिस बिसिस्ट प्रभाबो का उपचार करते है . 

दबाए

पार्किंसन रोग का इलाज करने बालि दबाई कई तरीको से ऐसा करती है . इसी कारन निम्नलिखित मैं से एक या अधिक कार्य करने बालि दबाओ  के होने की सम्भ्बना सबसे अधिक होती है . 

डोपामाइन की मात्रा बढ़ाना - लोबोड़ोपा जैसी दबाए आपके मस्तिक मैं  डोपामाइन की उपलब्धता को बढ़ा सकती है . यह दबा लगभग हमेशा प्रभाबी होती है,और जब यह काम नहीं करती है ,तो यह आम तर पर पार्किंसन रोग के बजाय किसि अन्य प्रकार के पार्किंसनसिज्ज्म का संकेत होता है . लोबोडोपा के लम्बे समय तक उपयोग से अत्यंत ऐसे दूस प्रभाब होते है जो इसकी  प्रभाब सिलता को कम कर देते है . 

डोपामाइन का अनुकरण करना - डोपामाइन एगोनिस्ट ऐसी दबाएं है जिनका प्रभाब डोपामाइन जैसा होता है . डोपा माइन एक न्यूरो ट्रांसमीटर है , जो कोशिकाओं से जुड़ने पर एक निश्चित तरीके से कार्य करने के लिए प्रेरित करता है . डोपा माइन एगोनिस्ट भी कोसीकाओं से जुड़ कर उन्हे उसी तरह ब्याबहार करने के लिए प्रेरित कर सकते है . युबा रोगिओं मैं लेबोडोपा  सुरु करने मैं देरी करने के लिए  इनका उपयोग अधिक आम है . 

डोपामाइन मेटाबोलिज्म ब्लॉकर्स - आपके सरीर मैं डोपामाइन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर को तोड़ने की प्राकृतिक प्रक्रिया ऐ होति है . डोपामाइन को तोड़ने से रोकने बालि दबाए मस्तिक के लिए अधिक डोपामाइन उपलब्ध कराती है . ये दबाए बिसेस रूप से सुरु आती चरणों मैं उपयोगी होती है और पार्किंसन रोग के बाद के चरणों मैं लेबोडोपा के साथ संयोजन मैं भी सहायक हो सकती है . 

लेबोडोपा मेटाबोलिस्म इन्हीबिटर -ये दबाए आप के सरीर द्वारा लेबोडोपा के प्रसंस्करण की गति को धीमा कर देती है,जिसे इसका प्रभाब लम्बे समय तक बना रहता है . इन दबाव का उपयोग सबधानि  पुर्बक करना चाहिए क्यूंकि इनके बिषाक्त  प्रभाब हो सकते है और ये आपके लिवर को नुकसान पहुंचा सकती है . इनका उपयोग अक्सर तब किया जाता है जब लोबोडोपा का प्रभाब कम होने लगता है . 

एडेनोसीन अबरोधक - ऐसी दबाए जो कोसी काओं द्वारा एडेनोसीन (एक अणु  जो आपके सरीर मैं बिविन्न रूपों मैं उपयोग किया जाता है ) के उपयोग के अबरुद्ध करती है ,लेबोडोपा  के साथ उपयोग किये जाने  पर सहायक प्रभाब डाल सकती है . 

कई दबाए पार्किंसन रोग के बिसिस्ट लक्ष्यणो का इलाज करती है . जिन लक्ष्यणो का इलाज किया जाता   है उन मैं अक्सर निम्न लिखित शामिल होते है . 

1 . स्तम्भन और योन रोग . 

2 . थकान या नींद आना 

3 . कब्ज़ 

4 . नींद की समस्याए 

5 . अबसाद  

6 . मनोभ्रंस 

7 . चिंता 

8 . मति भ्रम और मनोबिकृति के अन्य लक्ष्यन 

रोक थाम 

मैं इस स्तिति के जोखिम को कैसे कम कर  सकता हूँ या इसे कैसे बच सकता हूँ ? 

पार्किंसन रोग आनुबंसिक कारणों  से या अप्रत्यसीत रूप से हो सकता . दोनों ही स्तितियों  मैं उसे रोका नहीं जा सकता और इसके होने का जोखिम भी कम नहीं किया जा सकता। कुछ पैसे ऐसे है जिन  मैं पार्किंसन रोग होने का  खतरा अधिक होता  है . लेकिन उन पैसे मैं काम करने बाले सभी लोगो को पार्किंसंस रोग नहीं होता ।   

मैं अपन ख्याल कैसे राखु ? 

यदि आपको पार्किंसन रोग है,तो आपके लिए सबसे अच्छी बात यह है की आप अपने स्वास्त्य सेबा प्रदाता के मार्ग दरसन  का पालन करे की अपनी देख भाल कैसे करे . 

1 . अपनी दबाइया डॉक्टर के बताये अनुसार ले - नियमित रूप से दबाए  लेने से पार्किंसन रोग के लक्ष्यणो मैं बहुत फर्क पड  सकता है . आपको अपनी दबाइया डॉक्टर के बताये अनुसार ही लेना चाहिए अगर आपको कोई दूसप्रभाब महसुसु हो या लगे की दबाइया उतनी असरदार नहीं है,तो अपने डॉक्टर से बात करे . 

2 . अपने डॉक्टर से नियमित रूप से मिले -आपके डॉक्टर आपसे मिलने का समय तय करेंगे । ये मुलाकाते आपकी स्वास्त्य समस्याओं को नियंत्रित करने और सही दबाइया  और उनकी खुराक निर्धारित करने मैं बिसेस रूप से महत्वा पूर्ण है . 

3 . लक्ष्यणो को नजर अंदाज या  अनदेखा न करे - पार्किंसन रोग कई प्रकार के लक्ष्यन पैदा कर सकता है , जिन मैं से कई का इलाज रोग या लक्ष्यणो के उपचार से सम्भब है . उपचार लक्ष्यणो के गंभीर प्रभाबो को रोकने मैं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है . 


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