पार्किंसन रोग क्या है?कैसे होता है पार्किंसन रोग ?

 पार्किंसन रोग क्या है?कैसे होता है पार्किंसन रोग ? 

पार्किंसन रोग उम्र से सम्बंधित एक मस्तिक  की अपक्षयी बीमारी है ,जिसका अर्थ  है की यह मस्तिक के कुछ हिस्सों को ख़राब कर देती है . यह धीमी गति , कम्पन , संतुलन सम्बन्धी समस्याओं और अन्य लक्ष्यणो के लिए जानि जाती है . अधिकांस  मामले अज्ञात करने से होते है . लेकिन कुछ आनुबंसिक होते है , यह बीमारी ला इलाज  है , लेकिन इसके कई उपचार बिकल्प उपलब्ध  है . 

पार्किनसोन रोग क्या है ? 

पार्किंसन रोग एक ऐसी स्तिति है जिस मैं मस्तिक का एक हिस्सा धीरे - धीरे ख़राब होने लगता है,जिसे समय के साथ लक्ष्यन और भी गंभीर हो जाते है . यह रोग मुक्ष्य रूप से मांस पेशियों पर नियंत्रण , संतुलन , और गति को प्रभाबित करने के लिए जाना जाता है,लेकिन यह आपकी इन्द्रियों , सोच ने की  क्षयमता , मानसिक स्वास्त्य और अन्य कोई चीजों पर भी ब्य्पक  प्रभाब डाल सकता है. 


 

इसे किसे फर्क पड़ता है ? 

पार्किंसन रोग होने का खतरा उम्र के साथ स्वभाबिक रूप से बढ़ता है , और इसके सुरु होने को औसत उम्र 60 बर्स है यह पुरुसो मैं थोड़ा अधिक आम  है . 

हालाकि  पार्किंसन रोग  आम तर पर उम्र से संबंधितब होता है . लेकिन यह 20 साल की उम्र के बायस्को मैं भी हो सकता  है . (हालाकि यह बेहद दुर्लभ है ,और अक्सर लोगो के माता - पिता सगे  भाई बहन या बच्चे को यही स्तिति होती है . 

यह स्तिति कितनी आम है ? 

पार्किंसन रोग समग्र रूप से बहुत आम है और उम्र से सम्बंधित मस्तिक के अपक्षयी रोगो मैं दूसरे स्तान  पर है . यह सबसे आम मोटर (गति सम्बन्धी )मस्तिक रोग भी है। बीसे साग्यो  के  अनुमान है की यह बिस्व स्तर  पर 60 बार्स से अधिक आयु के कम से काम 1  %  लोगो को प्रभाबित कर्त है . 

इस स्तिति का मेरे सरीर पर क्या प्रभाब  पड़ता है ? 

पार्किंसन रोग मस्तिक के एक बिसिस्ट खेत्र , वेसल गैंग्लीआ  को प्रभबित करता है . इस खेत्र के प्रभाबित होने से ,आप उन क्ष्यमताओं को खो देते है जिन्हे , यह खेत्र पहले नियंत्रित करता था . शोध कर्ताओं ने पाया है की पार्किंसन रोग मस्तिक की रासायनिक संग्र चना मैं एक बड़ा बदलाब लाता है . 

समांन्य परी स्तितियों मैं आपका मस्तिक न्यूरो ट्रांस मिटर नामक रासायनिक का उपयोग करके मस्तिक कोसी कोओ (न्यूरॉन्स)के बिच संचार को नियन त्रित  करता है . पार्किंसन रोग होने पर ,आपके सरीर पर डोपा माइन की कमी हो जाती है,जो सबसे महत्व पूर्ण न्यूरो ट्रांसमीटर मैं से एक है . 

जब आपका मस्तिक मानस पेशियों को हिलने - डुलने के लिए सक्रियण संकेत भेजता  है,तो यह डोपा माइन की आबश्यकता बालि कोसी काओं का उपयोग करके आपकी गति बिधियों को सटीक रूप से नियन त्रित  करता है . यही कारन है की डोपा  माइन की कमी से पार्किंसन रोग के लक्ष्यन जैसे धीमी गति और कम्पन उत्पर्णा होते है

पार्किंसन रोग बढ़ने के साथ साथ लक्ष्यन भी बढ़ते है और गंभीर हो जाते है , रोग के बाद के चरणों मैं अक्सर मस्तिक की कार्य प्रणाली प्रभाबित होती है,जी से स्मृति भ्रंस जैसे लक्ष्यन और अबासाद उत्पर्ण  हो सकते है . 

पारकिन्सन    रोग और पार्किंसननिजम मैं क्या अंतर  है ? 

पार्किंसननिस्म एक ब्यापक सब्द  है जो पार्किंसन रोग और उसे मिलते - जुलते लक्ष्यणो बालि स्तितियों का बर्णन करता है . यहा न केबल पार्किंसन रोग को संदर्भित करता है. बल्कि मल्टीपल सिस्टम एन्ट्रॉफी या कार्टीकोबेसल डी  जनरेशन जैसी अन्य स्तितियों को भी संदर्भित करता है . 

लक्ष्यन और कारण 

क्या लक्ष्यन है ? 

पार्किंसन रोग के सबसे प्रसिद्ध लक्ष्यणो मैं मानसा पेशियों पर नियंत्रण खोना शामिल है . हालाकि , अब बीसेसज्ञ यह जानते है की मांस पेसियों पर नियंत्रण से सम्बंधित समस्याए ही पार्किंसन रोग के एक मात्रा संबबित लक्ष्यन नहीं है . 

मोटर सम्बंधि लक्ष्यन  

पार्किनसोन रोग के मोटर लक्ष्यणो मैं निम्न लिखित शामिल है 

1  . धीमी गति (ब्रेडीकाईनेसिया )- पार्किंसन रोग के निदान के लिए यह  लक्ष्यन होना आबश्यक है . जिन लोगो मैं यह लक्ष्यन होता है . बे इसे मानस पेशियों की कम जोरि बताते है . लेकिन यह मानस पेशियों के नियंत्रण सम्बन्धी समस्याओं  के कारन होता है . और बास्तब मैं ताकत मैं कोई कमी नहीं होती है . 

2 मानस पेशियों मैं आराम की स्तिति मैं कम्पन - यह मांस पेशियों का लय बद्ध  कम्पन है , जो तब भी होता है जब आप उनका उपयोग नहीं कर रहे होते है . और पार्किंसन रोग के लग भाग 80 %  मामलो मैं होता है. आराम की स्तिति मैं होब ने बाला कम्पन ,आबश्यक कम्पन से भिन्न होता है,जो आम तर पर मानस पेशियों के आराम की स्तिति मैं नहीं होता है . 

3 . कठोरता या जकड़न -लेड- पाइप कठोरता और कंग व्हील  कठोरता पार्किंसन रोग के समांन्य लक्ष्यन है. लेड  पाइप कठोरता सरीर के किसि  अंग को हिलने पर होने बालि एक स्थिर , अपरिबर्तनीय जकड़न है . कंग  व्हील कठोरता कम्पन और लेड  - पाइप कठोरताओके संयोजन से उत्त्पर्णा होती  है . इसका नाम गति  के झटके दार ,रूक रूक कर होने बाले स्वरुप के कारन पड़ा है . (इसे तंत्रिका घडी की सेकंड की सुई की तरह समझे । 

4 . अस्थिर शारीरिक मुद्र या चलने का तरीका - पार्किंसन रोग के कारन धीमी गति और अकड़न से ब्यक्ति झुक कर  या कमर टेढ़ी करके चलता है . यह आम तर पर रोग बढ़ने के साथ दिखाई देता है . चलते समाय यहास्पस्ट होता है क्यूंकि ब्यक्ति छोटे - छोटे ,घिसट ते हुए कदम उठता है और अपने हाथो का कम इस्तेमाल करता है . चलते समय मुड़ने मैं कई कदम लग सकते है . 

अतिरिक्त मोटर लक्ष्यणो मैं निम्न लिखित शामिल हो सकते है . 

1 . सामान्य से कम बार पलके झपकना -यह भी चेहरे की मानस पेशियों पर नियंत्रण कम होने का एक ;लक्ष्यन 

है. 

2 . संकुचित या छोटी लिखाबट - इसे माइक्रोग्राफिआ के नाम से जाना जाता है . जो मानस पेशियों के नियंत्रण सम्न्बंधित समस्याओ के कारन होता है . 

3 . मुह से लार टपकना - चेहरे की मानस पोशियों पर नियंत्रण खोने के कारन होने बाला एक अन्य लक्ष्यन . 

4 . मुखोटो जैसे चेहरे की भाब -भंगिमा - इसे हाइपोमिमियाँ कहा जाता है ,जिसका अर्थ है की चेहरे के भाबो मैं बहुत कम या बिलकुल भी वदलाब नहीं होता । 

5 . निगल ने मैं कठी नायी (डिसफेजिया  ) -यह गले की मानस पेशियों पर नियंत्रण कम होने के कारण होता है . इसे निमोनिआ  या घुटन जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है . 

6 . असामान्य रूप से धीमी आबाज (हाइपोफोनिया  )- ऐसा गले और छाती की मानस पेसियों पर नियंत्रण कम होने के कारन होता है . 

पार्किंसन रोग के चरण 

पार्किंसन रोग के गंभीर प्रभाब दिखने मैं बरसो या दसको भी लग सकते है . 1976 मैं मार्ग रेट होहेन और मेब्लीन या हर नामक दो बीसे बीसे साग्यो ने पार्किन सन रोग के लिए एक चरण बद्ध प्रणाली बनायीं थी . 

यह प्रणाली अब ब्यापक रूप से उपयोग मैं नहीं है क्यों की इस स्तिति को अलग - अलग चरणों  मैं बाटना  उतना उपयोगी नहीं है जितना की यह निर्धारित करना की यह प्रत्येक ब्यक्ति के जीबन को ब्यक्तिगत रूप से कैसे प्रभाबित करता है और फिर उसी के अनुसार उनका उपचार करना । 

आज मुब मेन्ट डिस आर्डर सोसाइटी -ऊनि फाइड पार्किंसन डिजीज रेटिंग स्केल (एमडीएम -युपिडीआरएस ) स्वास्त्य सेबा पर दाताओं   द्वारा इस बिमारियों को बरगी कृत करने का मुक्ष्य उप कारण है .  एमडीएम -युपिडीआरएसपार्किंसन रोग से प्रभाबित होने बाले चार अलग - अलग खेत्रो की जांच करता है . 

1 .दैनिक जीबन के अनुभबों के गैर गति सील पहलू - यह खंड मनो भरंस ,आबसद,चिंता , और अन्य मानसिक क्षयमता  एबंग मानसिक स्वास्तसम्बन्धी समस्याओं जैसे गैर - गति सील लक्ष्यणो से सम्बंधित है. इस मैं दर्द कब्ज़,असयम ,थकान आदि के बारे मैं भी प्रश्न पूछे गए है . 

2 . दैनिक जीबन के अनुभबों के गति सम्बन्धी पहलू - यह खंड गति से सम्बंधित कार्यो और क्षयमातों पर पड़ने बाले प्रभाबो को शामिल करता है . इसमैं कम्पन होने पर बोलने , खाने , चबाने और निगलने कपडे पहन ने और नहाने जैसी आपकी क्ष्यमताएँ शामिल है . 

3 . शारीरिक गति बिधि परिक्ष्यन -स्वास्त्य सेबा प्रदाता इस भाग का उपयोग पार्किंसन रोग के के कारन होने बलि शारीरिक गति बिधि सम्बन्धी प्रभाबो का पता लगाने के लिए करते है . इन मन दण्डो मैं बोलने का तरीका , चहरे के भाब , अकड़न , और जकड़न , चलने की चाल और गति , कम्पन आदि के आधार पर प्रभाबो का आकलन किया जाता है . 

4 . शारीरिक गति बिधि सम्बन्धी जटी  लताएं -इस भाग मं स्वास्त्य सेबा प्रदता यह निर्धारित करेगा की पार्किंसन रोग के लक्ष्यन आपके जीबन को कितन प्रभाबित कर रहे है . इस मैं यह भी शामिल है की आपको प्रतिदिन कितने समय तक कुछ लक्ष्यन महसूस होता है ,और क्या बे लक्ष्यन आपके समय बिताने के तरीको को प्रभाबित करते है या नहीं । 


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